आत्ममोह से ग्रसित लोगों पर तंज़ कसती कविता... आत्ममोह से ग्रसित लोगों पर तंज़ कसती कविता...
आज के शिक्षा व्यवस्था की कलई खोलती कविता आज के शिक्षा व्यवस्था की कलई खोलती कविता
धन्य हैं माता-पिता गुरुजन हमें सदमार्ग पर चलना सिखा दिया ! धन्य हैं माता-पिता गुरुजन हमें सदमार्ग पर चलना सिखा दिया !
एक ज़वान की अपने पिता को ढांढस बंधाता साहस एक ज़वान की अपने पिता को ढांढस बंधाता साहस
यदि फिर भी तुम्हें लगता है मुझमें कुछ अभी बाकी भी है तो सब तुम्हारा ही है केवल तुम्हारा वो हिस्स... यदि फिर भी तुम्हें लगता है मुझमें कुछ अभी बाकी भी है तो सब तुम्हारा ही है केव...
हम वो हैं जो अपने दर्द से लोगों को हँसा देते हैं। हम वो हैं जो अपने दर्द से लोगों को हँसा देते हैं।